कुमार अभिजीत
पीजीपी 2018-20
एफआईएम संगठन: विंजित टेक्नोलोजीस प्रा. लिमि., नाशिक
एफआईएम के एक भाग के रूप में हमने विंजित टेक्नोलोजीस, नाशिक के साथकाम किया, यह ग्रामीण समुदाय द्वारा बीज बैंक की शुरुआत से संबंध में था, जिसे महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में ले जाया गया। इस समस्या की पहचान करके समग्रतात्मक समाधान उपलब्ध कराने के लिए हमने महाराष्ट्र के दूर दराज क्षेत्रों का दौरा यह जानने के लिए किया कि वे किसान किस प्रकार प्राकृतिक, शून्य बजट की खेती करते हुए यह काम कर रहे हैं और हम किस प्रकार किसानों और उनके बीज बैंकों को बाजार से जोड़ सकते हैं। काफी प्रयासों के बाद समुदाय के नेताओं से मिलकर हमने समस्याओं का पता लगाया और उन्हें सुझाव दिए कि वे किस प्रकार देशी बीजों के किचन गार्डन किट तैयार करके सामुदायिक बीज बैंक बना सकते हैं; यह भी कि वे किस प्रकार अभियान और सामुदायिक रूप से जानकारी देकर और किसानों की जागरूकता बढ़ा कर किसानों के नेटवर्क के माध्यम से बीजों को बचाने वालों की मदद कर सकते हैं। यह मेरी जानकारी बढ़ाने वाला अनुभव था जिसे मैं सामान्य पाठ्यक्रम में प्राप्त नहीं कर सकता था।
एफआईएम के एक भाग के रूप में हमने विंजित टेक्नोलोजीस, नाशिक के साथकाम किया, यह ग्रामीण समुदाय द्वारा बीज बैंक की शुरुआत से संबंध में था, जिसे महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में ले जाया गया। इस समस्या की पहचान करके समग्रतात्मक समाधान उपलब्ध कराने के लिए हमने महाराष्ट्र के दूर दराज क्षेत्रों का दौरा यह जानने के लिए किया कि वे किसान किस प्रकार प्राकृतिक, शून्य बजट की खेती करते हुए यह काम कर रहे हैं और हम किस प्रकार किसानों और उनके बीज बैंकों को बाजार से जोड़ सकते हैं। काफी प्रयासों के बाद समुदाय के नेताओं से मिलकर हमने समस्याओं का पता लगाया और उन्हें सुझाव दिए कि वे किस प्रकार देशी बीजों के किचन गार्डन किट तैयार करके सामुदायिक बीज बैंक बना सकते हैं; यह भी कि वे किस प्रकार अभियान और सामुदायिक रूप से जानकारी देकर और किसानों की जागरूकता बढ़ा कर किसानों के नेटवर्क के माध्यम से बीजों को बचाने वालों की मदद कर सकते हैं। यह मेरी जानकारी बढ़ाने वाला अनुभव था जिसे मैं सामान्य पाठ्यक्रम में प्राप्त नहीं कर सकता था।
कुशाग्र शाह
पीजीपी 2018-20
एफआईएम संगठन: संजीव ऑटो, औरंगाबाद
भा.प्र.सं. नागपुर हमें दूसरे और तीसरे सत्र के बीच में कक्षा में सीखी गई बातों को संगठनों की वास्तविक परिस्थितियों में लागू करने का अवसर देता है। तीन सप्ताह के एक भाग के रूप में हमें कक्षा में सिखाए गए संगठनात्मक व्यवहार, नीति, परिचालन और विश्लेषण के माध्यम से संगठनों के सामने आने वाली समस्याओं का हल बताने का मौका मिला। इससे हमें परामर्श देने का अनुभव भी हुआ – हमने संगठनात्मक समस्याओं की पहचान करके उन्हें बताया कि वे किस प्रकार योजनाएँ बना कर उनका हल निकाल सकते हैं। इस परियोजना के माध्यम से मुझे एमएसएमई और एनजीओ के वातावरण और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की जानकारी मिली, जिससे एमएनसी में काम करने की मेरी पृष्ठभूमि में मेरा दृष्टिकोण व्यापक हुआ।
भा.प्र.सं. नागपुर हमें दूसरे और तीसरे सत्र के बीच में कक्षा में सीखी गई बातों को संगठनों की वास्तविक परिस्थितियों में लागू करने का अवसर देता है। तीन सप्ताह के एक भाग के रूप में हमें कक्षा में सिखाए गए संगठनात्मक व्यवहार, नीति, परिचालन और विश्लेषण के माध्यम से संगठनों के सामने आने वाली समस्याओं का हल बताने का मौका मिला। इससे हमें परामर्श देने का अनुभव भी हुआ – हमने संगठनात्मक समस्याओं की पहचान करके उन्हें बताया कि वे किस प्रकार योजनाएँ बना कर उनका हल निकाल सकते हैं। इस परियोजना के माध्यम से मुझे एमएसएमई और एनजीओ के वातावरण और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की जानकारी मिली, जिससे एमएनसी में काम करने की मेरी पृष्ठभूमि में मेरा दृष्टिकोण व्यापक हुआ।
आकांक्षा श्रीवास्तव
पीजीपी 2018-20
एफआईएम संगठन: जिम लैब्स, कमलेश्वर, नागपुर
मुझे औषधीय क्षेत्र की बारीकियों की जानकारी मिली; साथ ही मुझे जिम लैब्स के वरिष्ठ प्रबंधन से बातचीत करने और उनसे सीखने का मौका मिला। प्रबंधन ने मुझे एक मजेदार समस्या का हल करने को कहा: यह संगठन में लागू ईआरपी के कार्यान्वयन में आने वाले व्याधानों के संबंध में थीं। हमने एक अंतराल विश्लेषण किया और अपनी सिफ़ारिशों पर पहुँचने के लिए प्रबंधन रूपरेखा का प्रयोग किया। यह जानकारी बहुत बड़ी उपलब्धि थी और मैं फार्मा परामर्शदाता के रूप में कैरियर के चयन के बारे में विचार कर रही हूँ।
मुझे औषधीय क्षेत्र की बारीकियों की जानकारी मिली; साथ ही मुझे जिम लैब्स के वरिष्ठ प्रबंधन से बातचीत करने और उनसे सीखने का मौका मिला। प्रबंधन ने मुझे एक मजेदार समस्या का हल करने को कहा: यह संगठन में लागू ईआरपी के कार्यान्वयन में आने वाले व्याधानों के संबंध में थीं। हमने एक अंतराल विश्लेषण किया और अपनी सिफ़ारिशों पर पहुँचने के लिए प्रबंधन रूपरेखा का प्रयोग किया। यह जानकारी बहुत बड़ी उपलब्धि थी और मैं फार्मा परामर्शदाता के रूप में कैरियर के चयन के बारे में विचार कर रही हूँ।
शिवानी डोंगरे
पीजीपी 2018-20
एफआईएम संगठन: आनंदवन, वरोरा
वरोरा एक सामुदायिक पुनर्वास केंद्र है जो समाज के सीमांत क्षेत्रों से कुष्ठ रोगियों और विकलांगों का स्वागत करता है। इसे खुशियों का वन कहा गया है, जो बहुत सही है क्योंकि यहाँ सब तरफ सकारात्मकता प्रचुर मात्र में महसूस की जा सकती है। आनंदवन में मुझे सृजनात्मक मानवता का जीवंत उदाहरण देखने को मिला क्योंकि यहाँ आर्थिक सिद्धांतों को सभी व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए बखूबी अपनाया जाता है। इस समुदाय के साथ समय बिताने पर मुझे महसूस हुआ कि खुशनुमा चेहरों पर मुस्कान देखना किसी भी निवेश से अधिक लाभ है। यह सीखने के लिए बहुत बड़ा अनुभव था जहां सामाजिक पहलू की एक बड़ी भूमिका है। धन्यवाद, आनंदवन, वहाँ बिताया समय बहुत अच्छा था।
वरोरा एक सामुदायिक पुनर्वास केंद्र है जो समाज के सीमांत क्षेत्रों से कुष्ठ रोगियों और विकलांगों का स्वागत करता है। इसे खुशियों का वन कहा गया है, जो बहुत सही है क्योंकि यहाँ सब तरफ सकारात्मकता प्रचुर मात्र में महसूस की जा सकती है। आनंदवन में मुझे सृजनात्मक मानवता का जीवंत उदाहरण देखने को मिला क्योंकि यहाँ आर्थिक सिद्धांतों को सभी व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए बखूबी अपनाया जाता है। इस समुदाय के साथ समय बिताने पर मुझे महसूस हुआ कि खुशनुमा चेहरों पर मुस्कान देखना किसी भी निवेश से अधिक लाभ है। यह सीखने के लिए बहुत बड़ा अनुभव था जहां सामाजिक पहलू की एक बड़ी भूमिका है। धन्यवाद, आनंदवन, वहाँ बिताया समय बहुत अच्छा था।
रिशव राज
पीजीपी 2017-19
एफआईएम संगठन: मण्डल आयुक्त का कार्यालय, नागपुर
भा.प्र.सं. नागपुर द्वारा दिया जाने वाला इमर्शन मोड्यूल एक अनोखा अनुभव है। यहाँ एसएमई और सरकारी क्षेत्र के समक्ष आने वाली समस्याओं के साथ साथ उनके संकाय सदस्यों द्वारा निरंतर निगरानी को वास्तविक रूप से समझने का मौका मिला। इससे मुझे व्यापक प्रबंधकीय माहौल और अवलोकन करने और समस्याओं की पहचान करके उनके समाधान करने के कौशल में मदद मिली। इस छोटे से समय में हमें नए और लागू किए जा सकने वाले समाधान समझने का मौका मिला। इस संगठन में काम करते समय श्री अनूप कुमार, तात्कालिक मण्डल आयुक्त, नागपुर का सहयोग एक यादगार अनुभव था।
भा.प्र.सं. नागपुर द्वारा दिया जाने वाला इमर्शन मोड्यूल एक अनोखा अनुभव है। यहाँ एसएमई और सरकारी क्षेत्र के समक्ष आने वाली समस्याओं के साथ साथ उनके संकाय सदस्यों द्वारा निरंतर निगरानी को वास्तविक रूप से समझने का मौका मिला। इससे मुझे व्यापक प्रबंधकीय माहौल और अवलोकन करने और समस्याओं की पहचान करके उनके समाधान करने के कौशल में मदद मिली। इस छोटे से समय में हमें नए और लागू किए जा सकने वाले समाधान समझने का मौका मिला। इस संगठन में काम करते समय श्री अनूप कुमार, तात्कालिक मण्डल आयुक्त, नागपुर का सहयोग एक यादगार अनुभव था।
अर्घ्य सरकार
पीजीपी 2017-19
एफआईएम संगठन: नागपुर पुलिस
भा.प्र.सं. नागपुर में आने से पहले मुझे एक शानदार माहौल वाली आईआईटी एमएनसी में काम करने का मौका मिला था, जहां मुझे विश्व भर के ग्राहकों से बातचीत करने का मौका मिला था। लेकिन एक व्यक्ति के रूप में मेरे क्षितिज को व्यापक करना जरूरी था, जो मुझे भा.प्र.सं. नागपुर के फील्ड इमर्शन मोड्यूल से मिला। मुझे एक सरकारी संगठन- नागपुर पुलिस में काम करने का मौका मिला। किसी भी समाज में कानून प्रवर्तन विभाग किसी भी पूछताछ के लिए उत्तरदाई है। नागपुर पुलिस में एफआईएम के दौरान मुझे दो सप्ताह तक अग्रणी सीट पर बैठने का मौका मिला- प्राथमिक अनुसंधान को धन्यवाद। छोटा होने के बावजूद इससे मुझे विभिन्न स्तरों पर संगठन को समझने और एक व्यक्ति के रूप में मेरे विकास, न केवल तकनीकी बल्कि लोगों के कौशल को समझने में मदद मिली है, जो बहुत महत्वपूर्ण थी।
भा.प्र.सं. नागपुर में आने से पहले मुझे एक शानदार माहौल वाली आईआईटी एमएनसी में काम करने का मौका मिला था, जहां मुझे विश्व भर के ग्राहकों से बातचीत करने का मौका मिला था। लेकिन एक व्यक्ति के रूप में मेरे क्षितिज को व्यापक करना जरूरी था, जो मुझे भा.प्र.सं. नागपुर के फील्ड इमर्शन मोड्यूल से मिला। मुझे एक सरकारी संगठन- नागपुर पुलिस में काम करने का मौका मिला। किसी भी समाज में कानून प्रवर्तन विभाग किसी भी पूछताछ के लिए उत्तरदाई है। नागपुर पुलिस में एफआईएम के दौरान मुझे दो सप्ताह तक अग्रणी सीट पर बैठने का मौका मिला- प्राथमिक अनुसंधान को धन्यवाद। छोटा होने के बावजूद इससे मुझे विभिन्न स्तरों पर संगठन को समझने और एक व्यक्ति के रूप में मेरे विकास, न केवल तकनीकी बल्कि लोगों के कौशल को समझने में मदद मिली है, जो बहुत महत्वपूर्ण थी।
सौम्या रंजीत
पीजीपी 2016-18
एफआईएम संगठन: कमलनयन जमनालाल बजाज फ़ाउंडेशन, वर्धा
कमलनयन जमनालाल बजाज फ़ाउंडेशन में मेरा अनुभव बहुत समृद्ध था। हमें वहाँ आंतरिक और बाहरी साझेदारों से बातचीत करने का मौका मिला कि किस प्रकार वे वर्धा के 700 से अधिक जिलों में लोगों की जीवन शैली में सुधार ला रहे हैं। हालांकि एफआईएम की छोटी अवधि में संगठन के प्रत्येक पहलू को गहराई से नहीं समझा जा सकता, लेकिन इससे निश्चित रूप से बड़ी योजनाओं में उनके उद्देश्य समझने में मदद मिली है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
कमलनयन जमनालाल बजाज फ़ाउंडेशन में मेरा अनुभव बहुत समृद्ध था। हमें वहाँ आंतरिक और बाहरी साझेदारों से बातचीत करने का मौका मिला कि किस प्रकार वे वर्धा के 700 से अधिक जिलों में लोगों की जीवन शैली में सुधार ला रहे हैं। हालांकि एफआईएम की छोटी अवधि में संगठन के प्रत्येक पहलू को गहराई से नहीं समझा जा सकता, लेकिन इससे निश्चित रूप से बड़ी योजनाओं में उनके उद्देश्य समझने में मदद मिली है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
भार्गवी बी
पीजीपी 2015-17
एफआईएम संगठन: एमएसएसडीएस, नागपुर
हमारी कक्षा के सत्रों के बाद एफआईएम एक व्यावहारिक सत्र था, जिससे हमें किसी भी संगठन की प्रबंधन समस्याओं की पहचान करके उन्हें हल करने में हाल ही में प्राप्त किए अपने कौशल को इस्तेमाल करने का मौका मिला। एमएसएसडीएस के साथ मेरे एफआईएम के दौरान मुझे सरकारी संगठनों के कार्यों को समझने का मौका मिला; साथ ही आईटीआई के विभिन्न दौरों के दौरान मुझे यह जानने का अवसर भी मिला कि निचले स्तर की समस्याएँ उच्च प्रबंधन तक नहीं पहुँचती हैं। असली कारण का विश्लेषण, जहां कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं उस स्थिति में किसी निर्णय पर पहुँचना, संभावित समाधानों और उनके परिणामों का मूल्यांकन, जहां कई साझेदारों के हित हैं, उस संबंध में मानदंडों का मूल्यांकन आदि कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलीं। इनसे मुझे केंद्र सरकार के पीएसयू में अपने कैरियर में उन दैनिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिली है जिनमें बहुत से नागरिकों और जनता के हित शामिल हैं। एफआईएम के दौरान मिले अनुभव से मुझे विभिन्न क्षेत्रों से संबन्धित परियोजनाओं में सक्षम भूमिका निभाने में मदद मिली है।
हमारी कक्षा के सत्रों के बाद एफआईएम एक व्यावहारिक सत्र था, जिससे हमें किसी भी संगठन की प्रबंधन समस्याओं की पहचान करके उन्हें हल करने में हाल ही में प्राप्त किए अपने कौशल को इस्तेमाल करने का मौका मिला। एमएसएसडीएस के साथ मेरे एफआईएम के दौरान मुझे सरकारी संगठनों के कार्यों को समझने का मौका मिला; साथ ही आईटीआई के विभिन्न दौरों के दौरान मुझे यह जानने का अवसर भी मिला कि निचले स्तर की समस्याएँ उच्च प्रबंधन तक नहीं पहुँचती हैं। असली कारण का विश्लेषण, जहां कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं उस स्थिति में किसी निर्णय पर पहुँचना, संभावित समाधानों और उनके परिणामों का मूल्यांकन, जहां कई साझेदारों के हित हैं, उस संबंध में मानदंडों का मूल्यांकन आदि कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलीं। इनसे मुझे केंद्र सरकार के पीएसयू में अपने कैरियर में उन दैनिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिली है जिनमें बहुत से नागरिकों और जनता के हित शामिल हैं। एफआईएम के दौरान मिले अनुभव से मुझे विभिन्न क्षेत्रों से संबन्धित परियोजनाओं में सक्षम भूमिका निभाने में मदद मिली है।
पंकज शेवकर
पीजीपी 2015-17
एफआईएम संगठन: अंकुर सीड्स प्रा. लिमि. तथा ईरोस ग्रुप नागपुर
गोयथे का कथन है, “केवल जानकारी पर्याप्त नहीं है, उसे अमल में लाना जरूरी है”। डॉ शिवाजी धवड़ के नेतृत्व में प्रतिभाशाली ढंग से आयोजित फील्ड इमर्शन मोड्यूल प्रो. आशीष नन्दा – तात्कालिक निदेशक, भा.प्र.सं. नागपुर के परामर्शदाता संस्थान के निदेशक – आईआईएम अहमदाबाद का सुझाव था। हालांकि कक्षा में हमें विश्व की समस्याओं को हल करने के बहुत से उदाहरण बताए जाते हैं लेकिन एफआईएम से उन्हें वास्तविकता में लागू करन सीखने को मिलता है। पहले वर्ष के अंत में दो माह तक हमें प्रशिक्षित करने का अच्छा अवसर था। अंकुर सीड्स प्रा. लिमि. में अपने एफआईएम के दौरान मैंने प्रबंधन का एक रहस्य जाना- एमबीए स्नातक के पास एक अच्छा हल होने के बावजूद उसे लोगों के साथ व्यवहार करना आना चाहिए। उनसे बातचीत करके उन्हें समझना आना चाहिए कि किस प्रकार वे उस समाधान को वास्तविकता में लागू कर सकते हैं। एफआईएम वास्तव में भा.प्र.सं. नागपुर का एक अनोखा अनुभव था जिसने मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
गोयथे का कथन है, “केवल जानकारी पर्याप्त नहीं है, उसे अमल में लाना जरूरी है”। डॉ शिवाजी धवड़ के नेतृत्व में प्रतिभाशाली ढंग से आयोजित फील्ड इमर्शन मोड्यूल प्रो. आशीष नन्दा – तात्कालिक निदेशक, भा.प्र.सं. नागपुर के परामर्शदाता संस्थान के निदेशक – आईआईएम अहमदाबाद का सुझाव था। हालांकि कक्षा में हमें विश्व की समस्याओं को हल करने के बहुत से उदाहरण बताए जाते हैं लेकिन एफआईएम से उन्हें वास्तविकता में लागू करन सीखने को मिलता है। पहले वर्ष के अंत में दो माह तक हमें प्रशिक्षित करने का अच्छा अवसर था। अंकुर सीड्स प्रा. लिमि. में अपने एफआईएम के दौरान मैंने प्रबंधन का एक रहस्य जाना- एमबीए स्नातक के पास एक अच्छा हल होने के बावजूद उसे लोगों के साथ व्यवहार करना आना चाहिए। उनसे बातचीत करके उन्हें समझना आना चाहिए कि किस प्रकार वे उस समाधान को वास्तविकता में लागू कर सकते हैं। एफआईएम वास्तव में भा.प्र.सं. नागपुर का एक अनोखा अनुभव था जिसने मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया है।